Posts

Showing posts from March 16, 2013

“शहरों में एकहन गो लोग अइसन होला“

Image
आई 0 आई 0 एम 0 सी 0 की अविस्मरणीय यादें ... गला रुधती ही जा रही थी, आंखों से आंसू गिरने ही वाला था, किसी तरह आंसुओं को रोकते हुए मैंने कुछ शब्द कहा। आज आई0 आई0 एम0 सी0 के आखिरी दिन अपने गुरुजनों और दोस्तों के बारे में मैं शब्दों में वयां नहीं कर सकती। गांव छोड़ते वक्त सोची नहीं थी दिल्ली में भी मुझे एक घर मिल जाएगा। जहां से बिछड़ते वक्त मुझे रोना पड़ेगा। एक अविभावक की तरह स्नेह लुटाने वाले आनंद प्रधान सर से जब पहली बार इंटरव्यू में मिली थी तब से ही एक रिश्ता जुड़ गया था। डरते-डरते मैं इंटरव्यू कक्ष में घुसी थी, डर के मारे शुद्ध से बोल नहीं पा रही थी लेकिन सर के अपनापन भरे शब्द और मुस्कुराहट ने मुझे ताकत दी और तब मैं बोलना शुरु की। मैं अपने घर जाकर दादाजी को बताई। पहली बार मेरे दादाजी किसी शहरी आदमी के बारे में संतोष से बोले थे - “शहरों में एकहन गो लोग अइसन होला“ । शहरों के खौफ से डरे रहनेवाले मेरे दादाजी मुझे शहर किसी भी हालत में भेजने को तैयार नहीं थे। लेकिन शायद इसी बात का प्रभाव था कि मेरे दादाजी मुझे आई0 आई0 एम0 सी0 में नामांकन लेने से नहीं रोके। म...