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Showing posts from April 19, 2024

गया से कौन जीतेगा : राजद के कुमार सर्वजीत या हार की हैट्रिक लगा चुके मांझी ?

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लोकसभा चुनाव 2024 : जाने संसदीय क्षेत्र गया का हाल संसदीय क्षेत्र गया, लोकसभा चुनाव 2024 की चर्चित सीट है। एनडीए प्रत्याशी जीतन राम मांझी के चुनाव प्रचार के लिए यहां गृहमंत्री अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक आ चुके हैं। चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही यहां अपना पूरा जोर लगा चुके हैं। पहले ही चरण में 19 अप्रैल को हो रहे चुनाव में यह सीट शामिल है।  1967 से ही यह सीट आरक्षित सीट है। यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं।  एनडीए से यहां हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर (हम पार्टी) के मुखिया जीतन राम मांझी खुद चुनावी मैदान में हैं। वही इंडिया गठबंधन से राजद ने बिहार सरकार में मंत्री रह चुके कुमार सर्वजीत को टिकट दिया है। कुमार सर्वजीत दुसाध (पासवान) जाति से हैं। इसके अलावा पांच अन्य दलीय और सात निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में हैं।  25 सालों से मांझियों का गढ़ है गया गया संसदीय सीट पर पिछले 25 सालों से मांझियों ने जीत दर्ज की है। यह जीत दो महत्वपूर्ण पार्टियों से है। चार बार एनडीए (तीन बार भाजपा और एक बार जेडीयू) और एक बार राजद के उम्मीदवार को जीत मिली है।...

क्या जमुई में अर्चना रविदास एनडीए को दे रही कांटे की टक्कर?

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लोकसभा चुनाव 2024: जाने संसदीय क्षेत्र जमुई का हाल जमुई संसदीय सीट संरक्षित सीट है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को यहां चुनाव है।  एनडीए गठबंधन के लोजपा रामविलास के मुखिया चिराग पासवान यहां से लगातार दो बार सांसद रह चुके हैं। इस बार यह सीट उन्होंने अपने जीजा अरुण भारती के लिए छोड़ दी है।  उनकी पार्टी जो कि एनडीए गठबंधन का हिस्सा है उसने अरुण भारती को यहां से उम्मीदवार बनाया है।  वही इस सीट पर इंडिया गठबंधन से राजद ने अर्चना रविदास को टिकट दिया है। अर्चना रविदास के पति मुकेश यादव राजद नेता है और पार्टी के टिकट पर विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। जमुई संसदीय सीट का इतिहास जमुई संसदीय सीट पर अब तक मात्र आठ बार ही चुनाव हुए है। इसका कारण परिसीमन है। 1952 के चुनाव के बाद 1957 में यह विलोपित कर दिया गया। पांच साल बाद 1962 में यह दुबारा अस्तित्व में आया। 1977 में परिसीमन के बाद इसे फिर से विलोपित कर दिया गया। 30 साल बाद 2008 के परिसीमन से यह फिर से अस्तित्व में है।  2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से यहां एनडीए गठबंधन की पार्टियों का कब्जा रहा है। 2009 में जदयू के भूद...

नवादा लोकसभा सीट पर क्या यादव फैक्टर राजद पर पड़ेगा भारी?

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लोकसभा चुनाव 2024 : जाने संसदीय क्षेत्र नवादा का हाल नवादा में 19 अप्रैल को चुनाव है। सभी उम्मीदवार अपने - अपने वादों के साथ चुनाव प्रचार में लगे हैं। यहां से आठ उम्मीदवार चुनावी मैदान में है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यहां त्रिकोणीय लड़ाई देखने को मिल सकती है। नवादा में एनडीए गठबंधन से भाजपा चुनावी मैदान में है वही इंडिया गठबंधन से राजद ने अपना उम्मीदवार खड़ा किया है। वहीं नवादा के पूर्व राजद विधायक राजबल्लभ यादव के भाई विनोद यादव निर्दलीय खड़े हैं। इसके साथ ही भोजपुरी गायक गुंजन कुमार भी यहां से निर्दलीय भाग्य अजमा रहे हैं। नवादा के उम्मीदवार भाजपा से राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को टिकट मिला है। ये भूमिहार समाज से आते है। इसके साथ ही ये भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री डॉ सी. पी. ठाकुर के पुत्र है।  वही राजद ने श्रवण कुशवाहा को टिकट दिया है। श्रवण कुशवाहा पिछले कई चुनावों में विभिन्न पार्टियों से अपना भाग्य अजमाते रहे हैं। निर्दलीय खड़ें विनोद यादव राजद के पुराने कार्यकर्ता रहे हैं। इनके भाई और पूर्व विधायक राजबल्लभ यादव को नाबालिग के साथ दुराचार मामले में सजा मिल चुकी है।...

“मिनी चितौड़गढ़” कहे जाने वाले औरंगाबाद पर किसका होगा कब्जा?

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लोकसभा चुनाव, 2024: जाने संसदीय क्षेत्र औरंगाबाद का हाल लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को है। सभी उम्मीदवारों ने अपना पर्चा भर दिया है और चुनाव की तैयारी में जुट गए है। हालांकि यहां तैयारी शिक्षा, रोजगार, विकास या उम्मीदवारों की काबिलियत से नहीं जाति आधारित होती रही है। मिनी चितौड़गढ़ की कहानी औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र राजपूत बहुल होने के कारण लोग इसे मिनी चितौड़गढ़ भी कहा करते हैं। राजपूत वोटर्स की संख्या यहां 2 लाख के आस- पास है। वही दूसरें नंबर पर यादव आते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यादव वोटर्स की संख्या 1.90 लाख, मुस्लिम 1.25 लाख और कुशवाहा भी 1.25 लाख के आस-पास है। वही भूमिहार वोटर्स की संख्या एक लाख और दलितों की संख्या 2 लाख से अधिक है। अति पिछड़ा वर्ग का वोट भी चुनाव पर असर डालता है। जातीय समीकरणों के आधार पर देखे तो यहां राजपूत और दलित वोटर्स समान संख्या में है। यादव, मुस्लिम और कुशवाहा वोटर्स भी निर्णायक मत देने की काबिलियत रखते हैं। राजपूत सांसदों का वर्चस्व हालांकि औरंगाबाद संसदीय सीट पर हमेशा से राजपूत उम्मीदवारों को ही जीत मिली है। बिहार विभूति के नाम...