संपोषणीय विकास (Sustainable Development)
वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण का ह्रास विकास का पर्याय बन गया है। वैसे शहर जो 10 वर्ष पूर्व साफ और स्वच्छ हुआ करते थे, आज विकास के कारण प्रदूषित हो गए हैं। छोटे शहर तो दूर गाँव की छोटी-छोटी नदियाँ भी प्रदूषित हो चुकी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण विकास की इस प्रक्रिया को रोक नहीं सकते, लेकिन ऐसे विकास से उत्पन्न समस्याएँ अंततः विकास का अंत करती नजर आती है। संपोषणीय विकास इन्हीं समस्याओं से निजात पाने के लिए विकास की संकल्पना है। संपोषणीय विकास मानव विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें पर्यावरण का निम्नीकरण किए बिना प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, साथ ही भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इनके उपयोग पर बल दिया जाता है। अर्थात संपोषणीय विकास सुनियोजित सिद्धान्त है, जो कि मानव विकास के लक्ष्य को प्राप्त करता है, साथ ही प्राकृतिक संसाधन और पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करने की क्षमता प्रकृति में सुरक्षित रहती है। इस विकास प्रक्रिया से पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरणीय विकास के साथ आर्थिक एवं सामाजिक विकास क...