क्या पट्टे/संविदा पर कृषि आनेवाले समय की मांग है ?
भारत में भूमि धारण क्षमता, दिन पर दिन बढ़ती जनसंख्या के कारण घटती जा रही है। जोत छोटे होने के कारण उत्पादन की अपेक्षा कृषि लागत बढ़ती जा रही है। कृषि दिन पर दिन अलाभकारी होती जा रही है। छोटी जोत वाले किसानों का बहुत बड़ा वर्ग इस समस्या से जूझ रहा है। ऐसे में समस्या के समाधान के लिए संविदा कृषि और पट्टे पर भूमि देने को बढ़ाबा दिया जाना सार्थक साबित होगा। लेकिन इसे कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ सकता है। संविदा कृषि और पट्टे पर कृषि से किसानों पर पड़नेवाले सकारात्मक और नाकारात्मक प्रभाव निम्नलिखित हैं :- (क) सकारात्मक प्रभाव :- जैसा कि स्पष्ट है जोत छोटा होने से लगत बढ़ती जा रही है। इस समस्या का समाधान संविदा और पट्टे पर कृषि करने से हो जाती है। जो लोग ऐच्छिक रूप से कृषि नहीं कर रहे हैं वे बेहतर अवसर की तलाश करेंगे और अतिरिक्त लाभ कमा सकेंगे। संविदा कृषि होने से भूमि का एक भड़ा हिस्सा जो खेतों की आड़ के रूप में होता है कृषि उपयोग में आ जाएगा। सरकार को इस तरह की खेती से प्रबंधन के स्तर पर लाभ मिल सकेगा।...