Posts

Showing posts from November, 2017

संपोषणीय विकास (Sustainable Development)

Image
वर्तमान समय में बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण का ह्रास विकास का पर्याय बन गया है। वैसे शहर जो 10 वर्ष पूर्व साफ और स्वच्छ हुआ करते थे, आज विकास के कारण प्रदूषित हो गए हैं।  छोटे शहर तो दूर गाँव की छोटी-छोटी नदियाँ भी प्रदूषित हो चुकी है। बढ़ती जनसंख्या के कारण विकास की इस प्रक्रिया को रोक नहीं सकते, लेकिन ऐसे विकास से उत्पन्न समस्याएँ अंततः विकास का अंत करती नजर आती है। संपोषणीय विकास इन्हीं समस्याओं से निजात पाने के लिए विकास की संकल्पना है। संपोषणीय विकास मानव विकास की वह प्रक्रिया है जिसमें पर्यावरण का निम्नीकरण किए बिना प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग किया जाता है, साथ ही भावी पीढ़ियों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इनके उपयोग पर बल दिया जाता है। अर्थात संपोषणीय विकास सुनियोजित सिद्धान्त है, जो कि मानव विकास के लक्ष्य को प्राप्त करता है, साथ ही प्राकृतिक संसाधन और पारिस्थितिक तंत्र प्रदान करने की क्षमता प्रकृति में सुरक्षित रहती है। इस विकास प्रक्रिया से पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकी एवं पर्यावरणीय विकास के साथ आर्थिक एवं सामाजिक विकास क...

"आर्थिक विकास में परिवहन की भूमिका "

परिवहन आर्थिक  विकास की रीढ़ की हड्डी कही जा सकती है। उदहारण के लिए यदि गावों का विकास  करना है तो सड़क पहली आवश्यकता है ताकि कृषि वस्तुओं को बाजार और कृषि विकास को नवीन तकनीक प्राप्त हो सके। परिवहन के साधन होने पर ही जीवन-यापन के लिए व्यावसायिक कृषि का विकास कर सकते हैं।  आर्थिक विकास के कई आयाम हैं - शिक्षा, ऊर्जा के श्रोत, वाणिज्यीकरण इत्यादि। आर्थिक विकास के इन आयामों की पूर्ति परिवहन पर निर्भर करती है। यदि औद्योगिक विकास करना हो तो भी परिवहन अति महत्वपूर्ण हो जाता है। इस कारण उद्योगों  परिवहन से संपन्न क्षेत्रों में ही हुआ है। लौह उद्योग बंदरगाहों के निकट लगाया जाना परिवहन  भूमिका को दर्शाता है।  आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की प्राप्ति तभी संभव है जब उस क्षेत्र विशेष में परिवहन के साधन हों। विधुत ऊर्जा, सौर ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, बायोगैस, CNG आदि परम्परागत और गैर परम्परागत ऊर्जा के विकास के लिए भी परिवहन यथा - सड़क, रेल मार्ग, अंतः स्थलीय जलमार्ग या पाइप लाइन आदि के विकास की प्र...

संयुक्त राष्ट्र और इसकी उपलब्धियां (UNITED NATIONS CHALLENGES & ACHIEVEMENTS)

Image
संयुक्त राष्ट्र ध्वज  द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्व में शांति कायम रखने के लिए विजेता देशों ने संयुक्त राष्ट्र संघ का गठन किया। 24 अक्टूबर 1945 को यह संस्था अस्तित्व में आया। इसके गठन के वक्त 51  सदस्य देश थे। वर्तमान में इसकी संख्या 193   है। भारत इसमें शुरूआती दिनों से ही सदस्य रहा है। इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयार्क शहर में है। अब इसे संयुक्त राष्ट्र के नाम से जाना जाता है।   संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के मुख्य उद्देश्य :- सभी प्रकार के साधनों का उपयोग करके एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र पर किये जाने वाले आक्रमण को रोककर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा स्थापित करना।  समानता और आत्म निर्णय के अधिकार के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों में मध्य मित्रवत संबंधों का विकास करना।  अन्तर्राश्ट्रीय आधार पर राष्ट्रों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अन्य मानव संबंधों में सहयोग का विकास करना।  नस्ल, जाती, धर्म, भाषा व लिंग या किसी अन्य समूह पर ध्यान दिए बिना मानवाधिकारों तथा आधारभूत स्वतंत्रता को सम्मान देने की भावना को विकसित ...