"आर्थिक विकास में परिवहन की भूमिका "
परिवहन आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी कही जा सकती है। उदहारण के लिए यदि गावों का विकास करना है तो सड़क पहली आवश्यकता है ताकि कृषि वस्तुओं को बाजार और कृषि विकास को नवीन तकनीक प्राप्त हो सके। परिवहन के साधन होने पर ही जीवन-यापन के लिए व्यावसायिक कृषि का विकास कर सकते हैं।
आर्थिक विकास के कई आयाम हैं - शिक्षा, ऊर्जा के श्रोत, वाणिज्यीकरण इत्यादि। आर्थिक विकास के इन आयामों की पूर्ति परिवहन पर निर्भर करती है। यदि औद्योगिक विकास करना हो तो भी परिवहन अति महत्वपूर्ण हो जाता है। इस कारण उद्योगों परिवहन से संपन्न क्षेत्रों में ही हुआ है। लौह उद्योग बंदरगाहों के निकट लगाया जाना परिवहन भूमिका को दर्शाता है।
आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऊर्जा की प्राप्ति तभी संभव है जब उस क्षेत्र विशेष में परिवहन के साधन हों। विधुत ऊर्जा, सौर ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा, बायोगैस, CNG आदि परम्परागत और गैर परम्परागत ऊर्जा के विकास के लिए भी परिवहन यथा - सड़क, रेल मार्ग, अंतः स्थलीय जलमार्ग या पाइप लाइन आदि के विकास की प्रथम आवश्यकता है।
आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण कारक - कच्चा माल, ऊर्जा, बाजार, मानव संसाधन आदि सभी महत्वपूर्ण कारकों की प्राप्ति परिवहन के साधनों पर निर्भर है। इसलिए यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है कि आर्थिक विकास के लिए परिवहन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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