संयुक्त राष्ट्र और इसकी उपलब्धियां (UNITED NATIONS CHALLENGES & ACHIEVEMENTS)
संयुक्त राष्ट्र ध्वज |
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के मुख्य उद्देश्य :-
- सभी प्रकार के साधनों का उपयोग करके एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र पर किये जाने वाले आक्रमण को रोककर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा स्थापित करना।
- समानता और आत्म निर्णय के अधिकार के आधार पर विभिन्न राष्ट्रों में मध्य मित्रवत संबंधों का विकास करना।
- अन्तर्राश्ट्रीय आधार पर राष्ट्रों के मध्य आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा अन्य मानव संबंधों में सहयोग का विकास करना।
- नस्ल, जाती, धर्म, भाषा व लिंग या किसी अन्य समूह पर ध्यान दिए बिना मानवाधिकारों तथा आधारभूत स्वतंत्रता को सम्मान देने की भावना को विकसित करना।
संयुक्त राष्ट्र के मुख्य 5 अंग हैं, जिसके माध्यम से यह कार्य करता है। ये अंग हैं :-
- जेनेरल असेम्बली (आम सभा) :- यह संयुक्त राष्ट्र का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। सभी तरह के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की चर्चा और समाधान यहीं निकलता है।
- सिक्युरिटी कॉउन्सिल (सुरक्षा परिषद्) :- इसकी मुख्य जिम्मेदारी है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शांति और सुरक्षा बनाए रखना। इसका पाँच स्थाई सदस्य - अमेरिका, रूस, फ़्रांस, ब्रिटेन और चीन है, इनके पास विटो (निषेधाधिकार) की शक्ति है। 10 अस्थाई सदस्यों का चुनाव 2 वर्षों के लिए होता है।
- सेक्रेटेरिएट (सचिवालय) :- संयुक्त राष्ट्र के दिन-प्रतिदिन के कार्यों का लेखा-जोखा रखने की जिम्मेदारी सचिवालय की है। यह सभी अंगों के बीच समन्वय बनाए रखने का कार्य भी करता है।
- इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस (अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय) :- अंतर्राष्ट्रीय न्यायलय संयुक्त राष्ट्र का प्रमुख अंग है, यह अंतर्राष्ट्रीय विवादों का निपटारा करता है। इसका मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में स्थित है। इसमें 15 न्यायाधीश होते हैं।
- इकोनॉमिक एंड सोशल कॉउंसिल (आर्थिक व सामाजिक परिषद्) :- यह संयुक्त राष्ट्र के सभी अंगों के आर्थिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों से सम्बंधित लेखा-जोखा रखता है।
अबतक के इसके प्रमुख कार्यों के आधार पर इसकी कुछ सीमाएं देखी गई हैं। इसकी मुख्य उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं :-
उपलब्धियाँ :-
- द्वितीय विश्व युद्ध नागाशाकी और हिरोशिमा पर परमाणु बम हमले के रूप में समाप्त हुआ। इसके बाद कई देश एक-एक करके परमाणु शक्ति धारक बनते चले गए। आज जहाँ दुनिया बारूद व परमाणु बम के ढेड़ पर बैठी है, वैसी परिस्थिति में अबतक तीसरे विश्व्युद्ध को रोके रखना इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धि रही है।
- उपनिवेशवाद के लम्बे शोषण तंत्र ने तीसरी दुनिया को जन्म दिया, जो आर्थिक और सामाजिक रूप से पूरी तरह बर्बाद कर दिया गया था। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इन देशों में आर्थिक और सामाजिक पुनर्निर्माण एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। संयुक्त राष्ट्र विश्व के विभिन्न भागों में टीकाकरण कार्यक्रम, गर्भवती महिलाओं एवं बच्चों के स्वास्थय सम्बन्धी कार्यक्रम के साथ-साथ 60 से ज्यादा देशों को स्वतंत्र कराने में भी अपना महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है।
- अंतर्राष्ट्रीय विधि निर्माण और इसे लागू करने का व्यावहारिक ढाचा का निर्माण महत्वपूर्ण उपलब्धि है। विश्व के कई विवादों और मानवाधिकारों को इसने लागू करने का कीर्तिमान स्थापित किया है।
- वैश्विकरण के दौर में सीमा पार व्यापर में कई बाधाएँ थी। संयुक्त राष्ट्र ने WTO (World Trade Organization) जैसी संस्था के माध्यम से इसे सरल करने एवं व्यापारिक देशों के मध्य समन्वय स्थापित करने में सफल रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र ने समय के साथ वैश्विक सन्दर्भों में उत्पन्न महत्वपूर्ण चिंताओं (जैसे - जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद) को अपने कार्यों में जोड़कर इस तरह की समस्याओं को दूर करने में वांछित सफलता हासिल कर रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र रंग-भेद, लिंग-भेद आदि समस्याओं को दूर कर शोषण के विरुद्ध महत्वपूर्ण प्रयास कर रहा है यह विभिन्न कार्यों के माध्यम से मानसिक चेतना जागृत करने में सफल रहा है।
चुनौतियाँ :-
- संयुक्त राष्ट्र वैश्विक संघर्ष को रोकने में सफल रहा लेकिन क्षेत्रीय संघर्ष को न रोक पाना इसकी बड़ी विफलता मानी जाती है।
- संयुक्त राष्ट्र अपने सामाजिक, आर्थिक एवं अन्य कार्यों का संचालन कुछ देशों के दबाव में करता रहा है, जिससे इसके विकास कार्य प्रभावित होते देखे गए हैं।
- संयुक्त राष्ट्र संवेदनशील मुद्दे जैसे - जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद आदि पर निष्पक्ष समाधान करने में असफल रहा है।
- संयुक्त राष्ट्र विकसित देशों और विकासशील देशों के बीच संघर्ष को समाप्त करने में विफल रहा है।
उपरोक्त समस्याओं का मुख्य कारण संयुक्त राष्ट्र का कुछ विकसित देशों पर आर्थिक निर्भरता है। सैन्य एवं सुरक्षा सम्बन्धी पंगुता भी संयुक्त राष्ट्र की शक्ति कमजोर कर देता है। संयुक्त राष्ट्र की इन कमजोरियों के कारण इसे अनुपातन अधिक सहायता प्रदान करने वाले देश अपना वर्चस्व स्थापित किये हुए हैं।
संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक कमजोरी को दूर कर वैश्विक स्तर पर निष्पक्ष समन्वय बनाए रखने के लिए 'टोबिन टैक्स' की संकल्पना बेहद सटीक है। नोबेल पुरस्कार विजेता 'जेम्स टोबिन' द्वारा प्रतिपादित इस संकल्पना में वैश्विक अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में व्यापर के लिए एक देश का दूसरे देश की सीमा लांघने पर टैक्स वसूलने पर जोर दिया गया है। इससे संयुक्त राष्ट्र की आर्थिक निर्भरता को खत्म किया जा सकता है। यह संकल्पना संयुक्त राष्ट्र की परिस्थितियों को सुधारने में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। इस संस्था का होना वैश्विक विकास एवं शांति के क्षेत्र में मील का पथ्थर साबित हुआ है।
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