"2022 तक किसानों की दोगुनी आय का लक्ष्य" (GOAL TO DOUBLING FARMERS'S INCOME BY 2022)
2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का लक्ष्य प्रधानमंत्री की एक महत्वकांक्षी योजना है। आम बजट के माध्यम से सरकार ने विगत वर्ष इसकी घोषणा करते हुए कई कृषि नीतियों की चर्चा की। कुछ महत्वपूर्ण नीतियां निम्नलिखित हैं:-
(1) किसानों के लिए 12 राज्यों में ई-पोर्टल
(2) प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
(3) मृदा स्वास्थय कार्ड योजना
(4) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
(5) ऑर्गेनिक कृषि लक्ष्य
(6) आन-लाईन खरीद प्रणाली
(7) सिंचाई पर जोर / त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम / प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
(8) किसान कल्याण कार्यक्रम पर जोर
(9) कृषि ऋण की उपलब्धता
उक्त सभी नीतियों के माध्यम से सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लक्ष्य को हासिल कर किसानों का कायपलट करना चाहती है। इसके लिए सरकार द्वारा सात सुत्री कार्यक्रम के माध्यम से कार्य किया जा रहा है, जो निम्न हैं:-
(i) उत्पादन में वृद्धि
(ii) लागत का प्रभावी उपयोग
(iii) उपज के बाद नुकसान कम करना
(iv) गुणवत्ता में वृद्धि
(v) विपणन (कृषि बाजार) में सुधार
(vi) जोखिम सुरक्षा एवं सहायता
(vii) कृषि अनुसंगी कार्यकलाप यथा - बागवानी, नीली क्रांति, स्वेत क्रांति आदि।
स्वतंत्रता से पूर्व किसानों की हालत अत्यंत ही दयनीय थी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद प्रथम पंचवर्षीय योजना से कृषि सुधार का वीणा उठाया गया। लेकिन 1950 आते-आते थोड़े सुधार के बाद कृषि उत्पादन लगभग स्थिर हो गया।
कृषि में संतोष जनक सुधार तब हुआ जब हरित क्रांति 60 के दशक में सफल हुई। कृषि उत्पादन में आशातीत बढ़ोतरी हुई। लेकिन यह भी कुछ सीमित क्षेत्रों एवं सीमित फसलों में ही हुआ। हालाँकि उत्पादन की इस बढ़ोतरी का ही परिणाम है, वर्तमान कृषि व्यवस्था। इसके साथ ही 1990 का उदारीकरण का इसपर कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पड़े।
स्वतंत्रता प्राप्ति से लेकर अबतक के आंकड़ों से भारत में कृषि उत्पादन 2022 तक दोगुना होने में सक्षम प्रतीत नहीं दिख रहे हैं। इसके बावजूद सरकार के सात सुत्री कार्यक्रम कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों को पार कर गई तो २०२२ तक कृषि उत्पादन को दोगुना कर सकते हैं। कृषि उत्पादन बढ़ाने में महत्वपूर्ण चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं :-
(1) छोटे खेत तथा विखंडित जोत
(2) कृषि योग्य भूमि का निम्नीकरण
(3) अनियमित मॉनसून पर निर्भरता
(4) वाणिज्यीकरण का अभाव
(5) व्यापक अल्प रोजगारी
(6) कृषि भूमि पर बढ़ता दबाव
(7) योजनाओं के कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार, और
(8 ) कुशल श्रमिकों का आभाव
(8 ) कुशल श्रमिकों का आभाव
वर्तमान सरकार ने अपने सात-सुत्री कार्यक्रम के माध्यम से कृषि चुनौतियों से निपटने का पूरा-पूरा प्रयास किया है। मॉनसून आधारित कृषि समस्या को कम करने के लिए 89 परियोजनाओं का संचालन कर रही है।
आय को दोगुना करने के लिए उत्पादन लागत को कम करने, उपज के बाद नुकसान कम करने के साथ ही उत्पाद का सही मूल्य दिलाने के लिए ऑनलाइन कृषि बाजार एवं भारतीय खाद्य निगम के माध्यम से बाजार अथवा फसल मूल्य सुनिश्चित करा रही है।
जैविक खेती के माध्यम से भूमि की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ खाद्य की गुणवत्ता के लिए भी मृदा स्वास्थय कार्ड तथा जैविक खेती पर जोर दिया जा रहा है। इसके साथ ही फसल बीमा योजना किसानों के लिये एक सुरक्षा कवच है।
भारत में किसान कृषि कस पेशे में कोई अन्य अवसर नहीं मिलने पर मजबूरीवश आते हैं, जिससे गुणवत्तापूर्ण कृषि में बाधाएं आ रही है, सर्कार को इस और भी धरातल पर ध्यान देना होगा।
सही तरीके से योजनाओं का कार्यान्वयन कर पूरी ताकत लगाई जाए तो अगले पांच सालों में कृषि उत्पादन को दोगुना करना नामुमकिन नहीं है।
Comments
There are various policies and programmes have been launched by govt. of India launched for the benefit of the farmers. These are as follows:-
(i) Pradhan Mantri Krishi Sichayee Yojana : “Per Drop More Crop”
(ii) Soil Helth Card : It gives nutrient and physicochemical status of soil, which helps to choose the crop, type and amount of fertilizers used.
(iii) Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana : It is a comprehensive crop insurance scheme.
(iv) National Agriculture Market (NAM) : Provides market to the farmers where they may sell their agricultural products at better price.
(v) Kisan Credit Card (KCC) : Under this scheme farmers may get lone from banks for their cultivation.
There are various such government and private schemes are there which may be helping hands for the farmers to achieve their goal of ‘Doubling of Income’.