भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India)


      भारतीय वन सर्वेक्षण या Forest Survey of India (FSI) की स्थापना 1 जून, 1981  को हुई। यह इकाई पर्यावरण, वन, एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India) के अंतर्गत आता है। इसका मुख्यालय देहरादून, उत्तराखंड में है।भारत सरकार ने इस परियोजना की शुरुआत वर्ष 1965 में Food and Agriculture Organization (FAO) and United Nations Development Programme (UNDP) की आर्थिक सहायता से की। वर्ष 1976 में National  Commission on Agriculture (NCA) ने राष्ट्रीय वन सर्वेक्षण संसथान, यानि FSI की स्थापना की अनुशंशा की और इसी वर्ष इसकी स्वीकृति मिल गई। 


      प्रारम्भ में इसकी स्थापना भारत के वन संसाधनों का लगातार और नियत समय अंतराल में सर्वेक्षण करना था। वर्ष 1986 में FSI को जनादेश और इसकी आवश्यकता के आधार पर पुनः परिभाषित किया गया। FSI प्रति दो सलों में देश में उपलब्ध वन क्षेत्र का आंकड़ा उपग्रह की  सहायता से प्राप्त कर इनका आंकलन कर परिणाम (State of Forest Report (SFR)) को प्रकाशित करता रहा है, यह प्रक्रिया वर्ष 1987 से अमल में लाई जा रही है। 
भारतीय वन सर्वेक्षण के निम्नलिखित लक्ष्य हैं:- 
  • प्रति दो वर्षों में State of Forest Report तैयार करना, वर्तमान में उपलब्ध वन क्षेत्र का आंकलन करना तथा इनमे हुए परिवर्तन का निरीक्षण करना। 
  • वन तथा वन के अलावे क्षेत्रों की विस्तृत सूची तैयार करना एवं वन क्षेत्रों में उपलब्ध पेड़ों की प्रजाति व इनके संसाधनों की भी सूची तैयार करना। 
  • हवाई फोटोग्राफी की सहायता से विषय सम्बंधित मानचित्र (1:50,000 के अनुपात में) निर्माण करना। 
  • वन सम्बंधित जानकारियों का संग्रहण, सूचीबद्ध करना तथा इनका संरक्षण करना।  
  • वन अधिकारीयों का आधुनिक तकनिकी के सहयोग से प्रशिक्षित करना। 
  • वन सम्बंधित अनुसन्धान को बढ़ावा देना। 
  • राज्यों एवं अन्य विभागों को वन सूची उपलब्ध करना ताकि योजनाएं बनाई जा सके। 
  • वन सम्बंधित अन्य संस्थानों के साथ समन्वय बनाना एवं वन परियोजनाओं के लिए सहायता प्राप्त करना।
भारत में वन आच्छादित क्षेत्र:- 

      State of Forest Report - 2017 के अनुसार ऊपर के तस्वीरों में दिखाया गया है कि भारत के  7,08,273 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर जो कि कुल क्षेत्रफल का 21.54 % है जिसपर वन हैं। ऊपर के आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि 98,158 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर जो कि कुल क्षेत्रफल का 2.99 % है जिसपर घने जंगल हैं। 

भारत में वन आच्छादित क्षेत्र विस्तार
   वर्ष 2017 के आंकड़ों के अनुसार देश में सबसे अधिक मध्यप्रदेश (77,414 वर्ग कि.मी.), उसके बाद अरुणाचल प्रदेश (66,964 वर्ग कि.मी.), छत्तीसगढ़ (55,547 वर्ग कि.मी.), उड़ीसा (51,345 वर्ग कि.मी.) क्षेत्र पर वन हैं। किसी राज्य के क्षेत्रफल के प्रतिशत भूभाग पर वन क्षेत्र का आंकलन किया जाए तो लक्षद्वीप के 90.33 % भूभाग पर जंगल हैं, जबकि मिजोरम के 86.27 %  भूभाग वन से ढका है, अंडमान  और निकोबार (81.73 %), अरुणाचल प्रदेश (79.96 %), मणिपुर (77.67 %), मेघालय (76.45 %), नागालैंड (75.33 %), त्रिपुरा  (73.68 %) भूभाग वन आच्छादित है। 

     वर्ष 2015 और 2017 के आकड़ों को देखने से पता चलता है कि भारत के वन आच्छादित क्षेत्रों में 6,778 वर्ग कि.मी. की बढ़ोतरी हुई है। जिसमे आंध्रप्रदेश, कर्नाटका और केरल का योगदान क्रमशः 2,141 वर्ग कि.मी, 1,101 वर्ग कि.मी और 1 ,043 वर्ग कि.मी. है।  इन राज्यों में वन क्षेत्रों में बढ़ोतरी का कारण वृक्षारोपण है। जिन राज्यों के वन क्षेत्रों में कमी आई हैं प्रमुख रूप से वे हैं - मिज़ोरम (531 वर्ग कि.मी.), नागालैंड (450 वर्ग कि.मी.) और अरुणाचल प्रदेश (190 वर्ग कि.मी.). इन राज्यों के वन क्षेत्रों में कमी का प्रमुख कारण स्थानांतरण कृषि और विकास सम्बंधित क्रियाकलाप हैं। 

भारतीय वन संसोधन अधिनियम 2017 (Indian Forest (Amendment) Act 2017):
भारतीय वन संसोधन अधिनियम 2017 के तहत बाँस को पेड़ की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। ऐसा करने से गैर वन क्षेत्रों में बाँस उगाए जाने वाले बाँसों के आर्थिक उपयोग के लिए पारगमन परमिट की आवश्यकता नहीं होगी।  

Comments

Anonymous said…
Environment https://www.youtube.com/watch?v=m-dA-5Amvv8

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