“मिनी चितौड़गढ़” कहे जाने वाले औरंगाबाद पर किसका होगा कब्जा?

लोकसभा चुनाव, 2024: जाने संसदीय क्षेत्र औरंगाबाद का हाल

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण का चुनाव 19 अप्रैल को है। सभी उम्मीदवारों ने अपना पर्चा भर दिया है और चुनाव की तैयारी में जुट गए है। हालांकि यहां तैयारी शिक्षा, रोजगार, विकास या उम्मीदवारों की काबिलियत से नहीं जाति आधारित होती रही है।

मिनी चितौड़गढ़ की कहानी

औरंगाबाद संसदीय क्षेत्र राजपूत बहुल होने के कारण लोग इसे मिनी चितौड़गढ़ भी कहा करते हैं। राजपूत वोटर्स की संख्या यहां 2 लाख के आस- पास है।

वही दूसरें नंबर पर यादव आते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यादव वोटर्स की संख्या 1.90 लाख, मुस्लिम 1.25 लाख और कुशवाहा भी 1.25 लाख के आस-पास है। वही भूमिहार वोटर्स की संख्या एक लाख और दलितों की संख्या 2 लाख से अधिक है। अति पिछड़ा वर्ग का वोट भी चुनाव पर असर डालता है।

जातीय समीकरणों के आधार पर देखे तो यहां राजपूत और दलित वोटर्स समान संख्या में है। यादव, मुस्लिम और कुशवाहा वोटर्स भी निर्णायक मत देने की काबिलियत रखते हैं।

राजपूत सांसदों का वर्चस्व

हालांकि औरंगाबाद संसदीय सीट पर हमेशा से राजपूत उम्मीदवारों को ही जीत मिली है। बिहार विभूति के नाम से विख्यात डॉ अनुग्रह नारायण सिन्हा भी यही से थे। ये बिहार के पहले उपमुख्यमंत्री रहे। वही इनके पुत्र और बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके सत्येंद्र नारायण सिन्हा छह बार यही से सांसद रहे। ये राजपूत समाज से आते है। हालांकि यह परिवार कांग्रेसी रहा है। ये कांग्रेस के सीट से ही 1952 से 1989 तक चुनाव जीतते रहे।

1989 में पहली बार यहां रामनरेश सिंह ऊर्फ लूटन सिंह ने जनता दल से चुनाव जीत दर्ज की। दुबारा 1991 में भी लूटन सिंह ने जीत दर्ज की। मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह इन्हीं के पुत्र है। औरंगाबाद की इस संसदीय सीट हमेशा से इन्हीं दो परिवारों का बोल बाला रहा है। 

क्या मिनी चितौड़गढ़ का किला ध्वस्त होने वाला है? 

संसदीय क्षेत्र औरंगाबाद से एनडीए गठबंधन से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव लड़ रही है वही इंडिया गठबंधन से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) चुनाव में है। 

भाजपा ने फिर से मौजूदा और लगातार तीन बार के सांसद सुशील कुमार सिंह पर भरोसा जताया है। वही राजद ने पूर्व में टिकरी से विधायक रह चुके अभय कुशवाहा को टिकट दिया है।

टिकरी विधानसभा क्षेत्र औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है। राजद ने अभय कुशवाहा को इस सीट से टिकट देकर यादव- कुशवाहा वोट को साधने की कोशिश की है।

भाजपा की मुस्लिम विरोधी छवि के कारण अभय कुशवाहा को मुस्लिम वोटर्स का लाभ मिल सकता है। राजद ने अपने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट में भूमिहार उम्मीदवार को जगह देकर यदि भूमिहार और कुछ दलित वोट के हासिल करने में कामयाब रही तो जातीय गणित में अभय कुशवाहा को जीत मिल सकती है।

Comments

Popular posts from this blog

संपोषणीय विकास (Sustainable Development)

संयुक्त राष्ट्र और इसकी उपलब्धियां (UNITED NATIONS CHALLENGES & ACHIEVEMENTS)

"आर्थिक विकास में परिवहन की भूमिका "