गया से कौन जीतेगा : राजद के कुमार सर्वजीत या हार की हैट्रिक लगा चुके मांझी ?
लोकसभा चुनाव 2024 : जाने संसदीय क्षेत्र गया का हाल
संसदीय क्षेत्र गया, लोकसभा चुनाव 2024 की चर्चित सीट है। एनडीए प्रत्याशी जीतन राम मांझी के चुनाव प्रचार के लिए यहां गृहमंत्री अमित शाह से लेकर प्रधानमंत्री मोदी तक आ चुके हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही यहां अपना पूरा जोर लगा चुके हैं। पहले ही चरण में 19 अप्रैल को हो रहे चुनाव में यह सीट शामिल है।
1967 से ही यह सीट आरक्षित सीट है। यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं।
एनडीए से यहां हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा सेक्युलर (हम पार्टी) के मुखिया जीतन राम मांझी खुद चुनावी मैदान में हैं। वही इंडिया गठबंधन से राजद ने बिहार सरकार में मंत्री रह चुके कुमार सर्वजीत को टिकट दिया है। कुमार सर्वजीत दुसाध (पासवान) जाति से हैं। इसके अलावा पांच अन्य दलीय और सात निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में हैं।
25 सालों से मांझियों का गढ़ है गया
गया संसदीय सीट पर पिछले 25 सालों से मांझियों ने जीत दर्ज की है। यह जीत दो महत्वपूर्ण पार्टियों से है। चार बार एनडीए (तीन बार भाजपा और एक बार जेडीयू) और एक बार राजद के उम्मीदवार को जीत मिली है।
हालांकि यहां कभी कांग्रेस पार्टी का दबदबा था। यहां से कांग्रेस 1984 तक पांच बार जीत दर्ज कर चुकी है।
गया संसदीय क्षेत्र का जातीय गणित
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार गया में करीब 18 लाख कुल वोटर्स हैं। इसमें लगभग ढ़ाई लाख मांझी वोटर्स हैं। वहीं एससी और एसटी वोटर्स की कुल संख्या पांच लाख के करीब है। जिसमें मांझी, पासवान, धोबी और पासी शामिल हैं।
गया में यादव वोटर्स ढ़ाई लाख के करीब हैं। वही भूमिहार और राजपूत वोटर्स ढ़ाई लाख के आसपास हैं। वैश्य वोटर्स की संख्या करीब दो लाख है और मुस्लिम वोटर्स भी लगभग दो लाख हैं। अन्य जातीय वोटों की संख्या भी उम्मीदवारों की जीत के लिए महत्वपूर्ण है।
मांझी लगा चुके हैं हार की हैट्रिक
पूर्व सीएम और हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी गया संसदीय सीट से पिछले तीन चुनावों में अपना भाग्य अजमा चुके हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में जीतन राम मांझी महागठबंधन (अब इंडिया गठबंधन) के टिकट पर चुनाव लड़ें थे। लेकिन एनडीए के विजय कुमार मांझी से उन्हें करारी शिकस्त मिली थी।
वहीं 2014 का लोकसभा चुनाव जीतन राम मांझी ने जेडीयू के टिकट पर लड़ा था। तब भी उन्हें करारी शिकस्त मिली थी और तीसरे नंबर पर रहे थे।
1991 के लोकसभा चुनाव में भी वह जनता दल के प्रत्याशी और कुमार सर्वजीत के पिता राजेश कुमार से भी हार चुके हैं। जीतन राम मांझी तब कांग्रेस से प्रत्याशी थे।
कुमार सर्वजीत की कहानी
कुमार सर्वजीत बोधगया से विधायक है। इन्होंने पहली बार 2009 के उपचुनाव से राजनीति में कदम रखा और लोजपा के टिकट पर बोधगया विधानसभा सीट से जीत दर्ज की।
2015 के विधानसभा चुनाव में बोधगया सीट से दुबारा राजद के टिकट पर चुनाव जीतकर विधायक बने तब से बोधगया सीट पर उनकी जीत बरकरार है। राजद कोटे से महागठबंधन की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।
ये राजनीतिक घराने से आते हैं। इनके पिता स्व. राजेश कुमार ने गया लोकसभा सीट से 1991 में जीत दर्ज की थी। इसके साथ ही वह बोधगया विधानसभा सीट से तीन बार विधायक भी रह चुके थे।
पिता की हत्या के बाद कुमार सर्वजीत ने राजनीति में कदम रखा और लोकप्रियता हासिल की।
हार की हैट्रिक लगा चुके मांझी क्या जीत पायेंगे?
संसदीय चुनाव में तीन बार करारी शिकस्त मिलने के बाद जीतन राम मांझी चौथी बार गया संसदीय सीट से चुनाव में है। एनडीए से गठबंधन के बाद इनकी दावेदारी महत्वपूर्ण है।
गया संसदीय सीट पर 1998 से एनडीए में शामिल पार्टियों का दबदबा रहा है। 1998 से अब तक छह बार चुनाव हुए है। जिसमें मात्र एक बार 2004 में राजद को जीत मिली है। वहीं चार बार भाजपा और एक बार जेडीयू ने जीत दर्ज की है।
इस बार मांझी के लिए समीकरण सही लग रहा है। मांझियों के गढ़ और भाजपा के दबदबे वाले सीट से मांझी भाजपा के साथ है। वही भाजपा के शीर्ष नेताओं ने इनके पक्ष में मजबूती से चुनाव प्रचार किया है।
जातीय समीकरण के आधार पर देखें तो 18 लाख वोटों में से ढ़ाई लाख मांझी, ढ़ाई लाख सवर्ण और दो लाख वैश्य यदि मांझी के खाते में चले भी जाए तब भी ढ़ाई लाख यादव, लगभग एक लाख पासवान और दो लाख के करीब मुस्लिम वोट राजद के खाते में है।
वही इस बार राजद ने जेडीयू के लव-कुश समीकरण को भी तोड़ने की कोशिश की है।
लोकसभा चुनाव 2024 में गया संसदीय सीट से जीतन राम मांझी की जीत होगी या राजद के कुमार सर्वजीत अपनी विजय का परचम लहराने में कामयाब होंगे यह 4 जून को पता चलेगा जब मतगणना होगी।
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