भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (Zoological Survey of India)

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण या Zoological Survey of India (ZSI) की स्थापना 1 जुलाई, 1916 को ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य द्रारा की गई। अब यह इकाई पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Environment, Forest and Climate Change, Government of India) के अंतर्गत आता है। इसका मुख्यालय कोलकाता में है। वास्तव में ZSI की शुरुआत वर्ष 1875 में भारतीय संग्रहालय की शुरुआत के साथ हुई, हालाँकि ZSI सम्बंधित कार्य पहले से होता चला आ रहा था। ZSI की स्थापना में नथनेल वल्लीच (Nathaneil Wallich) का बड़ा योगदान माना जाता है। 


इसकी अस्थापना भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं का सर्वेक्षण, अनुसन्धान एवं लुप्तप्राय प्राणियों के संरक्षण के लिए किया गया है। अब तक भारत में कुल 1,00,693 प्राणियों की प्रजाति को परिभाषित की जा चुका है। दिन-प्रतिदिन नए जीव प्रजातियों की खोज एवं अन्वेषण के प्रयास चल रहे हैं।

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के प्रारंभिक लक्ष्य निम्नलिखित हैं:-

  • अन्वेषण, सर्वेक्षण, विभिन्न राज्यों में पाए जानेवाले प्राणियों की विविधता को सूचीबद्ध तथा संरक्षण करना, एवं जरुरत पड़ने पर किसी क्षेत्र को विषिष्ट प्राणी संरक्षित क्षेत्र घोषित करना। 
  • संग्रहित जैविक अवयवों का वर्गीकरणात्मक अध्ययन करना। 
  • Red data book को तैयार करना। 
  • जैविक प्रजातियों का अध्ययन करना। 
  • भारत एवं राज्यों में पाए जाने वाले जीवों की सूची तैयार करना। 
  • भारतीय जैविक संकलन का रख-रखाव। 
  • समुचित कार्यान्वयन एवं विकाश के लिए कर्मचारियों की संख्या में बढ़ोतरी तथा उनका प्राक्षिण करना। 
  • जीवों की पहचान करना तथा ZSI  सम्बंधित पुस्तकालयों का विकाश करना। 
  • भारत के जिव, राज्यों के जिव या संरक्षित क्षेत्र के जीवों से सम्बंधित परिणामों को प्रकाशित करना। 
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के अवांतर (Secondary) लक्ष्य निम्नलिखित हैं:-

  • भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographical Information System) और सुदूर संवेदन (Remote Sensing) द्वारा चिन्हित जैव विविधता का अध्ययन करना। 
  • गुणसूत्र पहचान (Cromosomal Mapping) तथा DNA Barcoding करना। 
  • पर्यावरण पर जीवों के प्रभावों का अध्ययन। 
  • शोधार्थियों को आर्थिक योगदान करना। 
  • भारत तथा विदेशों के संसथानों के साथ शोध कार्यों में एक दूसरे को सहयोग प्रदान करना। 
क्षेत्रीय केंद्र (Regional Centres):

  • North Eastern Regional Centre (NERC), Shillong, Meghalaya (Estd. 1959).
  • Western Regional Centre (WRC), Pune, Maharashtra (Estd. 1959).
  • Central Zone Regional Centre (CZRC), Jabalpur, Madhya Pradesh (Estd. 1960).
  • Desert Regional Centre (DRC), Jodhpur, Rajasthan (Estd. 1960).
  • Northern Regional Centre (NRC), Dehra Dun, Uttarakhand (Estd. 1960).
  • Southern Regional Centre (SRC), Chennai, Tamil Nadu (Estd. 1961).
  • Gangetic Plains Regional Centre (GPRC), Patna, Bihar (Estd. 1965).
  • High Altitude Regional Centre (HARC), Solan, Himachal Pradesh (Estd. 1968).
  •  Marine Biology Regional Centre (MBRC), Madras, Tamil Nadu (Estd. 1973).
  • Andaman and Nicobar Regional Centre (ANRC), Port Blair (Estd. 1977.
  • Freshwater Biology Regional Centre (FBRC), Hyderabad, Telangana (Estd. 1979).
  •  Sunderbans Regional Centre (SRC), Canning, West Bengal (Estd. 1979).
  • Estuarine Biology Regional Centre (EBRC), Ganjam, Orissa (Estd. 1980).
  • Western Ghats Regional Centre (WGRC), Kozhikode, Kerala (Estd. 1980).
  • Arunachal Pradesh Regional Centre (APRC), Itanagar, Arunachal Pradesh (Estd. 1983).
  • Marine Aquarium Cum Regional Centre (MARC), Digha, West Bengal (Estd. 1989).

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के पास भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार, बंगलादेश, नेपाल तथा भूटान से प्राप्त वर्षों पुराने जैविक अवशेष एवं नमूने संकलित और सुरक्षित हैं। अभी भी शोधकर्ता इन नमूनों एवं अवशेषों की शोध में लगे हैं, जो कि जीवों और जैव विविधता को समझने में हमारी मदद करते हैं। 

Comments

Mahodaya Prrarthy kee bhumiyo me abaid kabja vipaxy dwara beete kai varsho se lagatar kart chala aa raha hai !jisko churhane babat prrarthy ne varsh 2004 se lagatar vibhinn adhikariyo va vibhinn sotto ko sikayat kar chuka hai , kintu vipaxy apna prabhav dabdaba bana kar ukt abai kabje ko nahee chchorta hai! Ath:Mahodaya uprokt abaidh kabja chchurhane babat prrarthy yojna SWAMITWA card"dwara from mapping bhuabhilekh dwara Sony bhumi No ka seemankan katana chahata hai taki jameenke vivad hamesa ke liye khatm ho uprokt karyawahee me jo Sarkar vya hoga prrarthy Bhutan karne ko taiyar hai aapka bahuut bahuut dhanywad

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